हिंदी भाषा की लिपि क्या है? | Hindi Bhasha ki lipi kya hai

जैसा कि आप सभी जानते हैं हिंदी हमारी मातृभाषा है। बहुत से लोग हिंदी का उपयोग लिखने और बोलने में करते हैं। भारत में कई राज्यों में हिंदी भाषा बोली और लिखी जाती है। 

भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली हिंदी भाषा है। हिंदी भाषा लोगों में संपर्क भाषा का भी कार्य करती है। अबू धाबी में हिंदी भाषा को फरवरी 2019 में न्यायालय की तीसरी मूल भाषा के रूप में मान्यता मिली। हिंदी भाषा हिंदुस्तानी भाषा का एक मानकीकृत रूप है। हिंदी भाषा में संस्कृत के तत्सम और तद्भव शब्दों का बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है और अरबी फारसी शब्दों का प्रयोग कम किया जाता है।

हिंदी कोई सब्जेक्ट नहीं है, बल्कि एक भाषा है। जिसे बोला और लिखा जाना बहुत ही आसान होता है। यह भाषा बहुत से राज्य में लिखी और बोली जाती है। यह पूरे दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।

 केंद्रीय स्तर पर भारत में दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। खड़ी बोली को भी हिंदी भाषा ही कहते हैं।

कोई भी भाषा हो ,चाहे वह छोटे इलाके में बोली जाए या बड़े इलाके में बोली जाए अपनी अपनी जगह पर हर भाषा का एक अपना ही महत्व है और हर भाषा अपनी-अपनी जगह पर श्रेष्ठ है मगर हम हिंदी भाषा को बहुत ही सर्वश्रेष्ठ भाषा मानते हैं। हिंदी भाषा में कई तरह की बोलियां शामिल है जैसे ब्रज ,अवधि, डिंगल, उर्दू ,मैथिली आदि।

20 वी सदी में हिन्दी का विकास बहुत ज्यादा ही होने लगा। जहां तक की आपको पता है कि हिंदी एक शिक्षा की भाषा है मगर साथ में ही इसका प्रयोग प्रेस और पत्र-पत्रिका में भी बहुत ज्यादा होने लगा। व्यापार, शिक्षा, वाणिज्य, कानून हर क्षेत्र में इसका प्रचलन बढ़ता गया।

हिंदी भाषा में तत्सम शब्द के साथ-साथ अंग्रेजी, फारसी और भी कई भाषाओं के शब्द मिलते गए। सबसे पहले हिंदी भाषा खड़ी बोली के नाम से उत्तर भारत में फैल गई। यहां पर हिंदी को एक आदर्श भाषा माना जाता था। यहीं से हिंदी की उन्नति होती गई। जिसके कारण यह और भी कई क्षेत्रों में धीरे-धीरे फैलने लगी। फिर हिंदी भाषा सारे देशों की भाषा बन गई।

धीरे-धीरे हिंदी का ओर भी विकास हुआ। इसमें नए नए शब्द जुड़ते गए जिससे हिंदी एक समृद्ध और सटीक भाषा बन गई। जो कि सभी के द्वारा बोली व लिखे जाने लगी। 

हिंदी हमारे देश की शान है व सभी लोगों की हिंदी भाषा को अच्छे से पहचानते हैं और इसे बोलते और लिखते भी है।

भारत की कुल कितनी जनसंख्या हिंदी भाषा का प्रयोग करती है?

भारत में 57.1% भारतीय जनसंख्या हिंदी भाषा का प्रयोग करती है और 43.63% भारतीय लोगों ने हिंदी भाषा को अपनी मातृभाषा और मूल भाषा भी घोषित किया है।

Introduction

दोस्तों आज हम जानेंगे कि लिपि का मतलब क्या होता है, लिपि और भाषा में क्या अंतर होता है, हिंदी भाषा की लिपि क्या होती है? (Hindi Bhasha ki lipi kya hai) हिंदी भाषा का विकास कब और कैसे हुआ, देवनागरी लिपि का विकास कब और कहां हुआ और देवनागरी लिपि का नामकरण कैसे हुआ।

जैसा कि आपको पता है लिपि का मतलब क्या होता है?

लिपि का मतलब होता है लिखने का ढंग।

आप सभी जानते हैं कि लिपि और भाषा दोनों अलग अलग चीज होती है 

  • लिपि- लिपि का मतलब होता है किसी भाषा को लिखने के लिए निश्चित चिन्हों का प्रयोग करना।
  • भाषा- भाषा का मतलब होता है जो लोगों के द्वारा बोली जाती है।

आइए अब हम जानेंगे भाषा का मौखिक और लिखित रूप क्या होता है?

जो भाषा आप बोलकर समझ पाते हैं वह भाषा का मौखिक रूप होता है और उसी भाषा को लिखने का ढंग ही लिपि होती है जो भाषा का लिखित रूप होता है।

भाषाओं की संख्या दुनिया भर में हजारों में है वहीं लिपि की संख्या कम से कम 30 से 40 के बीच में है। 

अगर बात की जाए तो मुख्य रूप से केवल तीन ही मूल लिपि होती है।

  • चित्र लिपि– यह लिपि चीन ,जापान और कोरिया में प्रयुक्त की जाती है
  • ब्राह्मी से व्युत्पन्न लिपियाँ – यह देवनागरी, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में प्रयुक्त की जाती है 
  • फोनेशियन से व्युत्पन्न लिपियाँ – यह लिपि सम्प्रति यूरोप, मध्य एशिया और उत्तरी अफ्रीका में प्रयोग की जाती है

यह तीनों ही लिपियाँ अलग-अलग क्षेत्रों से उत्पन्न हुई है।

आज हम जानेंगे? Show Topic

हिंदी भाषा की लिपि क्या है?

हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है इसके अलावा और भी कई ऐसी भाषाएं हैं जिसको लिखने के लिए देवनागरी का प्रयोग किया जाता है। देवनागरी लिपि एक वैज्ञानिक और व्यापक लिपि है जिसका प्रयोग कई भाषाओं को लिखने में किया जाता है?

देवनागरी का विकास कैसे और कहां हुआ?

देवनागरी लिपि का विकास-भारत की सभी लिपियाँ ब्राह्मी लिपि से निकलती है। शुरुआत में देवनागरी लिपि को ब्राह्मी लिपि भी कहा जाता था।  देवनागरी लिपि भी ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न हुई है। ब्राह्मी लिपि का प्रयोग वैदिक आर्यों ने किया। गुप्त काल के आरंभ में ब्राह्मी लिपि को दो भागों में बांट दिया गया।

1. उत्तरी ब्रह्मी– उत्तरी ब्रह्मी से तीन लिपिया उत्पन्न हुई :-

  • गुप्त लिपि
  • सिद्ध मातृका लिपि

2. कुटिल लिपिकुटिल लिपि को दो भागों में बांटा गया:-

  • नागरी लिपि-नागरी लिपि से उत्पन्न लिपियां है- देवनागरी ,गुजराती, राजस्थानी ये सब लिपि पश्चिम शाखा में आती है और वही बांग्ला ,असमी ओर उड़िया पूर्व शाखा में आती हैं।
  • शारदा लिपि-शारदा लिपि में कश्मीरी ,गुरुमुखी और लंददा लिपि आती है।
  • दक्षिणी ब्राह्मी-दक्षिणी लिपि में मलयालम ,तमिल,कन्नड़ और तेलुगु लिपि आती है।
  • देवनागरी लिपि का नामकरण व स्वरूप– देवनागरी लिपि को लोकनागरी, नागरी या हिंदी लिपि भी कहते हैं। देवनागरी लिपि सर्वप्रथम गुजरात में प्रचलित हुई। वहां के नागर ब्राह्मणों के नाम पर इसका नाम नागरी पड़ा। देवनागरी लिपि का विकास 8वीं सदी और 12 वीं सदी के बीच में हुआ। 
  • देवनागरी लिपि का नामकरण कई मतों के अनुसार रखा गया ।

वह कौन कौन से मत है जिसके अनुसार देवनागरी का नामकरण हुआ।

  • बौद्ध ग्रंथ ललित विस्तार में सबसे पहले नागरी लिपि का नाम आया था। नागरी लिपि से ही देवनागरी लिपि का “नागरी” नाम आया है।
  • ऐसा भी माना जाता है कि पाटलिपुत्र को नगर कहा जाता था और चंद्रगुप्त को देव कहा जाता था 

जिस कारण देवनागरी लिपि का नाम देवनागरी रखा गया।

  • नगरों में प्रचलन होने के कारण भी इसका नाम देवनागरी पड़ा।
  • आर. श्याम शास्त्री ने यह मत दिया था की प्राचीन समय में कई जगह मूर्ति की जगह देव यंत्र का प्रयोग किया जाता था और उसी देव यंत्र में कुछ स्वरों के मिलने के कारण इसका नाम देवनागरी पड़ा।
  • धीरेंद्र वर्मा ने कहा है कि यह मध्य युग स्थापन की शैली है जिसका नाम नागरी था।
  • देवनगर काशी में प्रचलन होने के कारण भी इसका नाम देवनागरी पड़ा।
  • देवनागरी लिपि का प्रथम प्रयोग राज जय भट्ट के शिलालेख में मिलता है। यह एक भारतीय लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषा और कई विदेशी भाषाएं लिखी जाती है।
  • देवनागरी लिपि आबू गिद्दा प्रकार की होती है आबू गिद्दा ऐसी लिपि को कहा जाता है । जिसमें व्यंजन और स्वर को एक ही इकाई में लिखा जाता है। जैसे कि “क” व्यंजन और “आ” स्वर इन दोनों को मिलाकर “का” लिखा जाता है 
  • देवनागरी लिपि की बाल प्रणालियां मोड़ी और गुजराती है। देवनागरी की बहन नंदिनागरी को माना जाता है क्योंकि नंदिनागरी एक ऐसी लिपि है जो कि देवनागरी से मिलती-जुलती  है। नन्दिनागरी लिपि ब्राह्मी लिपि और नागरी लिपि से उत्पन्न हुई है। नन्दीनागरी नागरी लिपि की पश्चिम शैली है। भारत में नन्दिनागरी लिपि से लिखे हुए कुछ शिलालेख भारत के पश्चिमी राज्य से प्राप्त हुए हैं। जैसे आंध्र प्रदेश ,कर्नाटक और महाराष्ट्र।

देवनागरी लिपि में कौन-कौन सी भाषा लिखी जाती है?

देवनागरी लिपि में हिंदी ,संस्कृत, मराठी ,पाली ,कोंकणी, सिंधी, भोजपुरी ,मगही, कश्मीरी ,गढ़वाली, बोरो ,मैथिली ,अंगिका ,नेपाली आदि भाषाएं लिखी जाती है ।

देवनागरी लेखन की दृष्टि कैसी होती है?

देवनागरी दृष्टि से सुंदर, सरल और सुपाठ्य होती है। यह लिपि बाएं से दाएं की ओर लिखी जाती है। हर शब्द के ऊपर एक क्षैतिज रेखा खींची जाती है। जिसे हम शिरोरेखा भी कहते हैं। शिरोरेखा देवनागरी लिपि की पहचान होती है।

देवनागरी लिपि में कुल कितने अक्षर होते हैं?

देवनागरी लिपि में कुल 52 अक्षर होते हैं, जिसमें से 38 व्यंजन और 14 स्वर होते हैं।

हर एक ध्वनि के लिए अपना अपना संकेतात्मक चिन्ह होता है। हर शब्द को बोलने और लिखने का तरीका एक जैसा ही होता है इसका मतलब यह है कि- जैसा हम बोलते हैं, वैसा ही लिखते हैं।

कुछ स्थितियों में गुजराती ,पंजाबी, उर्दू आदि भाषाएं भी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है।

देवनागरी लिपि का प्रयोग दक्षिण एशिया में 175 से भी अधिक भाषाओं को लिखने के लिए किया जा रहा है। देवनागरी लिपि में विश्व की हर एक भाषाओं की ध्वनियों को व्यक्त करने की क्षमता होती है इस लिपि से संसार की किसी भी भाषा को रूपांतरित किया जा सकता है।

देवनागरी लिपि प्रचलित लिपियों जैसे रोमन, फारसी ,चीनी आदि में सबसे अधिक वैज्ञानिक है।

भारत तथा एशिया के सभी लिपियों के संकेत देवनागरी से बहुत अलग है लेकिन उर्दू को छोड़कर बाकी सभी लिपियों का उच्चारण और वर्णक्रम आदि देवनागरी के ही समान है। इसलिए इन सभी लिपियों को आसानी से देवनागरी में लिप्यंतरित किया जा सकता है।

भारत की कौन-कौन सी ऐसी लिपि है जो देवनागरी लिपि से बहुत ज्यादा मिलती जुलती है?

भारत की बहुत सी लिपि ऐसी है जो देवनागरी लिपि से बहुत मिलती जुलती है जैसे गुरुमुखी, गुजरात ,बांग्ला आदि।

देवनागरी को अक्षरात्मक क्यों कहा जाता है?

देवनागरी को अक्षरात्मक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसको लिखने के लिए वर्ण अक्षर होते हैं और हर शब्द को लिखने के लिए अलग-अलग वर्णों का प्रयोग किया जाता है जैसे क, ख ,ग ,घ आदि।

दूसरी शताब्दी ईस्वी में पतंजलि ने यह बताया था कि व्यंजनों में संयोजित स्वर्ग का उपयोग केवल उच्चारण करने के लिए ही किया जाता है। यह तत्वत: वर्ण का हिस्सा नहीं है। इस पर विचार करते हुए यह भी कहा जाता है कि इस लिपि की वर्णमाला अक्षरात्मक नहीं है, बल्कि ध्वन्यात्मक है।

ऐसी कौन कौन सी भाषा है जो लिखने के लिए देवनागरी का प्रयोग करती है?

ऐसी बहुत सारी भाषाएं हैं जो लिखने के लिए देवनागरी लिपि का  प्रयोग करती है जैसे:-

  • मराठी
  • संस्कृत
  • हिंदी
  • कश्मीरी 
  • अवधि
  • कन्नौजी 
  • कांगड़ी
  • कोया
  • खड़िया
  • गढ़वाली आदि।

देवनागरी लिपि में कौन कौन से गुण होते है?

देवनागरी लिपि में ऐसे बहुत से गुण है जिससे इसे लिखना बहुत ही आसान हो जाता है।

  • हर एक ध्वनि का अपना एक संकेतात्मक चिन्ह होता है और हर एक संकेतात्मक चिन्ह की अपनी एक ध्वनि होती है।
  • वर्णों को उपचार करने में और लिखने में एकरूपता होती है।
  • इस लिपि का उच्चारण करने का तरीका एकदम स्पष्ट होता है। जिसमें कोई संदेह नहीं होता है।
  • हर एक वर्ण अपने आप में संपन्न और पूर्ण होता है। वर्णों की संख्या ना बहुत ज्यादा होती है ना ही बहुत कम होती है।
  • यह लिपि सर्वाधिक ध्वनि चिन्हों को व्यक्त करती है।
  • इसमें मात्राओं का प्रयोग भी एकदम स्पष्ट रूप से किया जाता है।
  • लिपि के चिन्हों के नाम और ध्वनि में कोई अंतर नहीं होता है जैसे रोमन अक्षर का नाम “सी” है और ध्वनि में “स” है। दोनों ही एक दूसरे से मिलते जुलते हैं।
  • इस लिपि में अर्ध अक्षर के रूप की भी सुगमता होती है।
  • इसके ध्वनि कर्म पूर्णतया वैज्ञानिक है।
  • इस लिपि में स्वर भी दो अंगो में बटे हुए हैं जैसे दीर्घ स्वर और हस्व स्वर।

देवनागरी लिपि पर किन भाषाओं पर प्रभाव पड़ा?

देवनागरी लिपि पर तीन भाषाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा जैसे-

  • रोमन- रोमन लिपि से प्रभावित होकर विभिन्न विराम चिह्नों जैसे अर्धविराम ,प्रश्नवाचक चिन्ह ,विस्मय सूचक चिन्ह, पूर्ण विराम चिन्ह आदि में खड़ी पाई की जगह बिंदु का प्रयोग किया जाने लगा।
  • फारसी- फारसी से प्रभावित होकर देवनागरी में जिह्वा मूल्य ध्वनियों जैसे क़,ख़,ग़ आदि को जोड़ा गया। पहले देवनागरी में जिव्हा मूल्य ध्वनियों को लिखने के लिए कोई चिन्ह नहीं थे।
  • बांग्ला- देवनागरी लिपि में गोल गोल शब्द

लिखने की परंपरा बांग्ला लिपि से ही शुरू हुई। 

हिंदी भाषा का विकास कैसे हुआ?

सबसे पहले संस्कृत भाषा प्रयोग में लाई जाती थी। जैसा कि आपको पता ही होगा पहले संस्कृत की कोई लिपि नहीं थी लेकिन वर्तमान तक आते-आते संस्कृत को भी देवनागरी लिपि में लिखा जाने लगा। संस्कृत भाषा को दो भागों में बांटा गया।

  • वैदिक संस्कृत- वैदिक संस्कृत वह होती है जो वेदों के द्वारा प्रयोग की जाती है। वैदिक संस्कृत 1500 से 1000 ईसवी तक चली।
  • लौकिक संस्कृत- वैसे तो संस्कृत भाषा बहुत कठिन भाषा होती है। उसको थोड़ा सरल बनाने के लिए लौकिक संस्कृत का निर्माण किया गया। 

लौकिक संस्कृत में बहुत सारे ग्रंथ लिखे गए जैसे रामायण, महाभारत ,अष्टाध्याई ,अर्थशास्त्र ,कामसूत्र आदि। लौकिक संस्कृत भाषा 1500 से 500 ईसवी तक चली।

कौन कौन सी भाषा संस्कृत भाषा के बाद आई?

ऐसे निम्न भाषाएं हैं जो संस्कृत भाषा के बाद आई जैसे:-

  • पाली भाषा-संस्कृत भाषा के बाद पाली भाषा आई। यह भाषा 500 ईसवी से 1 ईसवी तक चली। पाली भारत की प्रथम देश भाषा थी। गौतम बुद्ध द्वारा सभी उपदेश पाली भाषा में ही दिए गए थे।
  • प्राकृत भाषा- इसके बाद प्राकृत भाषा आई। जो 1 ईस्वी से 500 ईसवी तक चली। 

महावीर स्वामी द्वारा सभी उपदेश भी प्राकृत भाषा में ही दिए गए थे।

  • अपभ्रंश भाषा-  इसके बाद अपभ्रंश भाषा आई। जो 500 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक चली।अपभ्रंश  शब्द का प्रयोग सबसे पहले पतंजलि ने किया था। 

चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने उत्तरी अपभ्रंश को पुराने हिंदी का नाम दिया था। 

  • अवहट्ट भाषा- इसके बाद अवहट्ट भाषा आई। जो 900 ईसवी से 1100 ईस्वी तक चली। इसका प्रयोग विद्यापति ने कीर्ति लता में किया था।
  • हिंदी भाषा- इसके बाद हिंदी भाषा आई। जो 1100 ईसवी से अब तक चल रही है। हिंदी एक फारसी भाषा का शब्द है। वर्तमान में हिंदी का प्रचलित रूप खड़ी बोली है।

हिंदी भाषा का विकास कब हुआ?

भारत की राजभाषा हिंदी को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। 14 सितंबर 1939 को हिंदी को संवैधानिक रूप से राजभाषा घोषित किया गया था।

  • 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • विश्व में हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाई जाती है।
  • वर्ष 1955 में गठित प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष बी.जी खेर जी थे।
  • संविधान में राजभाषा का वर्णन भाग 17 में अनुच्छेद 343 से 351 तक किया गया।
  • संविधान की आठवीं अनुसूची में कुल 22 भाषाओं का वर्णन किया गया है।

भारत में हिंदी भाषा राज्य कौन-कौन से हैं?

भारत में हिंदी भाषा राज्य केवल 10 है:-

  • उत्तर प्रदेश 
  • उत्तराखंड 
  • मध्य प्रदेश
  • छत्तीसगढ़ 
  • बिहार
  • झारखंड
  • राजस्थान 
  • हरियाणा 
  • हिमाचल प्रदेश 
  • दिल्ली

Conclusion

आज आपने पढ़ा कि भारत में हिंदी भाषी राज्य कौन-कौन से हैं ,हिंदी का विकास कब और कैसे हुआ, देवनागरी का विकास कैसे हुआ, देवनागरी किस-किस भाषा की लिपि है ,हिंदी की लिपि क्या है?

संस्कृत के बाद कौन कौन सी भाषा का निर्माण हुआ, कौन-कौन सी भाषा को लिखने के लिए देवनागरी का प्रयोग किया जाता है?

देवनागरी का नामकरण व स्वरूप कैसे हुआ, देवनागरी लिपि दृष्टि के अनुसार कैसी है, देवनागरी लिपि का निर्माण कैसे हुआ और देवनागरी लिपि में कितने अक्षर होते हैं आदि।

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