Red Data Book in hindi – रेड डाटा बुक क्या है

Red data book in hindi (Red data book meaning in hindi)–  नमस्कार दोस्तों दोस्तों एक और बहुत ही interesting ब्लॉग पोस्ट में आपका स्वागत है।

आज मैं आपसे बात करूंगा रेड डाटा बुक क्या है मैं आज आपको रेड डाटा बुक की पूरी जानकारी दूंगा की आखिरकार क्यों आजकल रेड डाटा बुक का नाम इतना ज्यादा सुनने को मिल रहा है। 

दोस्तों दरअसल IUCN एक सूची जारी करता है जिसे रेड डाटा बुक (Red data book in hindi) के नाम से जाना जाता है। दोस्तों इसमें हमारे पृथ्वी पर मौजूद सारे जीव जंतु और पक्षियों का रिकॉर्ड रखा जाता है। 

IUCN full form

International Union Of Conservation Nature

इस किताब को 1948 में प्रकाशित किया गया था, जिसका मुख्यालय स्विजरलैंड में है। 

रेड डाटा बुक क्या है (Red data book kya hai)

Red data book मैं पृथ्वी पर मौजूद और विलुप्त हो चुकी सारे जीव जंतुओं का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है। यह जीव जंतु या पक्षी को पहली बार कब देखा गया, अंतिम बार कब देखा गया पूरा का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है और इस रिकॉर्ड को तीन अलग-अलग भागों में बांटा गया है। 

  • Green Page (हरा पेज) – इस पेज पर जीव जंतु या पक्षियों के ऐसे प्रजातियों का नाम लिखा जाता है, जिसको कि फिलहाल कोई खतरा नहीं है यह पूरी तरह से सुरक्षित है। 
  • Pink page (गुलाबी पेज) – इस पेज पर जीव जंतु या फिर पक्षियों के ऐसे प्रजातियों का नाम लिखा जाता है, जो की खतरे में है।जिसे कि धीरे-धीरे विलुप्त होता देखा जा रहा है, दिन-ब-दिन यह गायब होते जा रहे हैं। ऐसे जीवो का नाम गुलाबी पेज पर लिखा जाता है। 
  • Red page (लाल पेज) – इस पेज पर पक्षियों या जीव जंतुओं के ऐसे प्रजातियों के नाम को लिखा जाता है, जो कि या तो बहुत कम बचे हैं या फिर पूरी तरह से विलुप्त हो चुके हैं। 

अब तक कुल 5 रेड डाटा बुक प्रकाशित हो चुकी है। जो की अलग-अलग जीव जंतुओं के लिए तथा पशु पक्षियों के लिए अलग-अलग है। 

  • प्रथम बुक  – स्तनधारी यह प्राणी जगत का एक ऐसा समूह है जो कि अपने छोटे-छोटे बच्चों को दूध पिलाती है। 
  • दूसरी बुक  – पक्षी यह प्राणी जगत का एक ऐसा समूह है जो कि हवा में उड़ सकती है। 
  • तीसरी बुक  – मरुस्थलीय उभयचर इस किताब में उनको रखा गया है जो कि मरुस्थल में पाए जाते हैं जैसे कि रेगिस्तान इत्यादि। 
  • चौथी बुक   – मछलियां इसमें उन जीव-जंतुओं को रखा गया है जो कि पानी में पाए जाते हैं। 
  • पाँचवी बुक –  पौधे – वनस्पतियाँ इसमें उन वनस्पतियों को रखा गया है जैसे कि पेड़ पौधे इत्यादि। 

Red Data Book – विलुप्त प्राणियों के नाम

  • Dodo
  • TasunTasunanian tiger
  • डायनासोर
  • ब्लू वक

Red Data Book – विलुप्त प्राणियों के प्रकार

  • अति संकटग्रस्त है- जीव जंतुओं या वनस्पतियों का जंगल से विलुप्त होने का खतरा बहुत ज्यादा है। 
  • विलुप्त प्राय श्रेणी 
  • वन से विलुप्त – इसमें वह जीव जंतु और वनस्पति आते हैं जो कि वनों से पूरी तरह से विलुप्त हो चुके हैं जिसकी कुछ प्रजाति बची हुई है तो वह है चिड़ियाघर में, या किसी ऐसे स्थान जहां उसे बचा कर रखा गया है। 
  • संकट मुक्त – इसमें वे जाति आते हैं जो की पूरी तरह से संकट मुक्त है जिस पर अभी तक किसी भी प्रकार का कोई खतरा नहीं है यह पूरी तरह से सुरक्षित होता है। 
  • संकटग्रस्त – जीव जंतु या वनस्पतियों का जंगलों से विलुप्त होने का खतरा बना हुआ है। 
  • संकटापन – यह पूरी तरह से विरोध तो नहीं हुआ है लेकिन इस पर उस जीव जंतुओं और वनस्पति को रखा जाता है जिस पर अभी संकट मंडरा रहा है। 
  • संवेदनशील – इसमें ऐसे जाति को रखा गया है जिसकी स्थिति बहुत ही नाजुक है अगर उसे सुरक्षित नहीं किया गया तो यह विलुप्त हो जाएंगे। 
  • अनाकलित – जाति के संरक्षण स्थिति का आकलन अभी तक अच्छी तरह से नहीं किया गया। 
  • आंकड़ा पर्याप्त नहीं – इसमें हुए जाति आते हैं जिसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है कि वह वनों पर कितने मौजूद है। 

Red data book क्यों प्रकाशित किया गया

इससे यह पता लग सके कि किस जीव जंतुओं की आयु सीमा कितनी है और उसकी मौत किस वजह से हुई है ताकि भविष्य में बचे हुए जीव-जंतुओं या वनस्पतियों की सुरक्षा की जा सके। 

इससे हमें सही आंकड़ा का पता चलता है कि कौन से जीव जंतु अभी इस दुनिया में कितने बचे हैं और कौन से विलुप्त होने वाले हैं ताकि हम लोगों में जागरूकता फैलाकर बचे हुए जीव जंतुओं को सुरक्षित रख सकें। 

अगर हमारे पृथ्वी में से कोई भी एक प्रजाति विलुप्त हो जाती है तो इसका असर पूरी पर्यावरण पर देखने को मिलता है हमारा Ecosystem (इकोसिस्टम) बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है इसलिए इन सारे जीवो को बचाकर रखना जरूरी है। 

अगर कोई जीव जंतुओं या वनस्पति पूरी तरह से विलुप्त होने के कगार पर आ गई हो तो उसे समय रहते ही बचाया जा सके। 

IUCN के मुताबिक यदि पिछले 10 वर्षों में किसी खास प्रजाति के जीव जंतु या वनस्पति 90% खत्म हो गए हैं या फिर आंकड़े में ले तो 250 से कम बचे हैं तो उन्हें अतिसंकटग्रस्त की श्रेणी में रखा जाएगा। 

अति संकटग्रस्त की श्रेणी में आने वाले जीव जंतुओं के नाम

  • गिद्ध
  • हिमालय बटेर – इस बच्चे को अंतिम बार केवल उत्तराखंड में देखा गया है। 
  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड – यह एक बड़े आकार का पक्षी है जो कि भारत के राजस्थान और सीमावर्ती क्षेत्र पाकिस्तान में देखा जाता है जो कि विलुप्त होने के कगार पर आ चुकी है। 
  • भारतीय चीता – चीते को राजा महाराजाओं ने अपने शौक पूरा करने के लिए लगभग पूरी तरह से खत्म कर दिया है पर अभी भी कुछ कुछ चीता आपको चिड़िया घरों में देखने को मिल जाएगा। 
  • गंगा शार्क – जैसे कि नाम से ही पता चलता है कि यह गंगा नदी में पाया जाता है जो कि अभी विलुप्त होने के कगार पर है। 
  • घड़ियाल – यह दिखने में बिल्कुल मगरमच्छ जैसा लगता है और मगरमच्छ के सदस्यों माना जाता है। 
  • उड़ान गिलहरी – यह गिलहरी की प्रजातियों से संबंध रखता है और या गिलहरी पक्षियों की तरह हवा में उड़ भी सकता है। 
  • सपून साइबेरियन – इसे सारस पक्षी भी कहा जाता है जो कि 4000 पहले भारत में पाई जाती थी लेकिन आज यह पूरी तरह से विलुप्त होने के कगार पर है। 

संकटग्रस्त प्रजातियों के नाम

  • हिम तेंदुआ है- यह एक प्रकार की बिल्ली है जो कि मध्य और दक्षिणी एशिया के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। 
  • लाल पांडा – इसे बालों के परिवार का सदस्य माना जाता है जोकि हिमालय के दक्षिणी चोटियों सिक्किम असम जैसी जगहों पर पाई जाती है। 
  • पुराने किस्म का हिरण 
  • शेर पहुंच वाला बंदर 

इस सूची में जितने भी नाम दिए गए हैं यह पूरी तरह से विलुप्त नहीं हुआ है कुछ को अभी भी सुरक्षित रखा गया है। 

आज हमने जाना कि

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रेड डाटा बुक कौन जारी करता है (Red data book kon Jari karta hai)

रेड डाटा बुक आईयूसीएन अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा जारी किया जाता है

रेड डाटा बुक में संकटग्रस्त प्रजातियों की पूरी सूची तैयार की जाती है, इन प्रजातियों को 9 श्रेणियों में विभाजित किया जाता है जो कुछ इस प्रकार है-

  1. मुल्यांकन नहीं
  2. आंकड़े की कमी
  3. कम से कम चिंता
  4. निकट संकटग्रस्त
  5. संवेदनशील
  6. संकटापन
  7. गंभीर रूप से संकटग्रस्त
  8. जंगल में विलुप्त और
  9. जंगल में दुर्लभ

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रेड डाटा बुक कब प्रकाशित हुई

रेड डाटा बुक सन 1968 में विश्व प्राकृतिक संरक्षण संघ द्वारा प्रकाशित किया गया

पहली रेड डाटा बुक जोकि आईयूसीएन ने 1 जनवरी 1972 में प्रकाशित किया था, इसमें स्तनधारी जीवो के विषय में जानकारी दी गई थी और अब तक आईयूसीएन ने कुल 5 रेड डाटा बुक प्रकाशित किया है।

जिन पांच रेड डाटा बुक के विषय में अपने ऊपर के अंशो में अध्ययन किया।

अभी हमारे देश भारत में गंभीर रूप से 132 जीव और वनस्पतियों को लुप्त प्राणियों में घोषित किया गया है जो कि बहुत ही दुख की बात है

वर्ष 1952 में चिता को विलुप्त प्रजाति के रूप में घोषित कर दिया गया और करीब करीब 1250 एबल पक्षी की प्रजातियां भारत में पाई गई।

विश्व में करीब 87 लाख प्रजातियां पाई जाती है, जो हर दिन किसी न किसी जीव या वनस्पति की खोज द्वारा प्राप्त होती है।

Red data book per tippani likhiye (Red Data Pustak)

जैसा की आप सभी को पता होगा कि हमारे विश्व में कई प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं। कुछ जीव जंतु जमीन पर रहते हैं तो कुछ पानी में वही कुछ जंगल में रहते हैं तो कुछ ऐसे भी जीव जंतु है जो पहले हमें दिखाई देते थे, किंतु अब हमें दिखाई नहीं देते हैं।

जब हमें कोई जीव जंतु दिखाई देना बंद हो जाता है तो उन्हें ही रेड डाटा बुक में रखा जाता है आसान भाषा में कहें तो रेड डाटा बुक नहीं दिखाई देने वाली जीव जंतुओं की ही एक किताब है जिसमें दुनिया भर से लुप्त हो रहे जीव-जतुओं की जानकारी रखी जाती है

Conclusion

दोस्तों मुझे उम्मीद है कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी (Red data book in hindi) आपको अच्छी तरह से समझ में आ गए होगी और इससे आपको काफी मदद भी मिली होगी।

अगर मैं सही हूं तो हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट करके जरूर बताएं, दोस्तों आपके द्वारा की गई कमेंट से हमें भविष्य में आगे और भी लिखने के लिए बहुत ज्यादा मोटिवेशन मिलती है। 

धन्यवाद

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