आज हम जानेंगे कि M.a की फीस कितनी है? या M.a की फीस कितनी होती है? (ma ki fees kitni hai). अगर आप M.A करने की सोच रहे हैं तो आपको M.A में कितने खर्चे होने वाले हैं यहां M.A करने में कितने खर्चे होते हैं?
दोस्तों आज के समय में अगर आप कोई अच्छी जॉब पाना चाहते हैं तो उसके लिए आपके पास उस जॉब के लिए अनिवार्य योग्यता के साथ-साथ डिग्री का भी होना बहुत जरूरी होता है। आज के समय में हर क्षेत्र में डिग्री होल्डर्स की मांग काफी बढ़ रही है।
दसवीं कक्षा पूर्ण कर लेने के बाद आप साइंस कॉमर्स या आर्ट स्ट्रीम में से किसी एक को चुनते हैं। उस stream से 11वीं और 12वीं पास कर लेने के बाद अगर आप ग्रेजुएशन करने की सोचते हैं तो उसमें पहले आपके पास बैचलर की डिग्री जैसे बीएससी, बीकॉम और बीए करने का विकल्प होता है।
अगर आप ग्रेजुएशन में बीएससी या b.a. किसी का भी चुनाव करते हैं और अपने बैचलरेट की डिग्री प्राप्त करके ग्रेजुएट हो जाते हैं तो उसके बाद आपके लिए करियर में आगे कई क्षेत्र खुलते हैं। बीए कंप्लीट कर लेने के बाद अगर आप कुछ सब्जेक्ट विशेष में रुचि रखते हैं और आगे और उसे पढ़ना चाहते हैं तो बीएससी यानी बैचलर ऑफ साइंस और बीए यानी बैचलर ऑफ आर्ट्स के बाद एम ए (M.A) यानी मास्टर ऑफ आर्ट्स का चुनाव कर सकते हैं।
ऐसा जरूरी नहीं होता कि बीए करने वाले छात्र ही एम ए (M.A) कर सकते हैं। अगर आपने graduation में बीएससी भी चुनी हो और आगे एम ए के विषय में के विषय पढ़ना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं। दोस्तों एम ए यानी मास्टर्स की डिग्री की वैल्यू आज के समय में काफी अधिक होती है। मास्टर्स की डिग्री प्राप्त कर लेने के बाद आप टीचिंग, रिसर्च और उनसे जुड़ी अन्य क्षेत्रों में अपना करियर बना सकते हैं। अगर कोई छात्र m.a. करना चाहता है तो उसके लिए यह आवश्यक होता है कि वह उससे जोड़ी सभी चीजों के बारे में जानकार हो।
M.A की फीस से पहले कुछ जरूरी बातें
एम ए कोर्स की अवधि 2 वर्ष की होती है। जिसमें ज्यादातर आप कॉलेज में यह 4 सेमेस्टर में विभाजित होता है। अगर आपने हमें करने का निर्णय ले लिया है तो मुख्यतः आप इसे 2 तरीकों से कर सकते हैं-
- रेगुलर
- प्राइवेट
जिसका चुनाव आप अपने सुविधानुसार कर सकते हैं।
रेगुलर चलने का मतलब होगा कि आप कॉलेज है रोजाना जाकर उसकी पढ़ाई करेंगे जबकि प्राइवेट चुनने का मतलब होता है कि आप रोजाना कॉलेज ना जाकर व्यक्तिगत रूप से m.a. की डिग्री पाना चाहते हैं।
अगर आप m.a. में किसी ऐसे विषय का चुनाव करते हैं जिसमें प्रैक्टिकल भी शामिल हो तो उसे आप केवल रेगुलर ही कर सकते हैं क्योंकि प्रैक्टिकल के लिए आपको कॉलेज जाने की आवश्यकता पड़ती है। अगर आप दोनों में से किसी भी प्रकार से m.a. की डिग्री प्राप्त करते हैं तो उसमें कोई अंतर नहीं होता है दोनों ही तरह से प्राप्त किए गए डिग्री की मान्यता एक समान होती है। दोस्तों कई छात्रों के मन में यह सवाल होता है कि एमए की करने मे उन्हें कुल कितना खर्च आता है।
M.A की फीस कितनी है? (MA ki fees kitni hai)
MA ki fees kitni h – दोस्तों अगर बात करें m.a. करने में आने वाले खर्च की तो यह काफी कम होता है। आप बहुत ही आसानी से कम खर्च में सरकारी कॉलेज से m.a. कर सकते हैं। दोस्तों जी एन यू जैसी संस्थाओं में m.a. जैसी कोर्स को करने का सालाना खर्च ₹216 है जो कि ₹18 प्रति माह हो जाता है।
M.A की फीस कितनी है?
अलावा अगर आप किसी सरकारी कॉलेज से भी m a करते हैं तो आपको फीस के रूप में 4000 से 5000 की मामूली रकम चुकानी होती है। कुछ प्राइवेट कॉलेजों में भी m.a. की फीस 10000 से 15000 होती है। अलग-अलग कॉलेज मे इसका निर्धारण अलग अलग होता है।
उदाहरण के लिए अगर आप हिंदी में m.a. करने का निर्णय लेते हैं तो कुछ अलग अलग कॉलेजेस व उनकी फीस इस प्रकार है-
- SNDT COLLEGE जो मुंबई और पुणे में है इसकी सालाना फीस 13500 है।
- सेंट स्टीफेंस कॉलेज न्यू दिल्ली इसकी सालाना फीस 69500 है।
- लोयोला कॉलेज चेन्नई की फीस ₹10020 है।
- हिंदू कॉलेज न्यू दिल्ली की फीस ₹9350 है।
- मीरांडा हाउस न्यू दिल्ली ₹20060 एवं फर्ग्युसन कॉलेज पुणे की फीस ₹6295 है।
यूनिवर्सिटी और कॉलेज के आधार पर इसमें भिन्नता होती है। अगर आप साधारण तरीके से m.a. की डिग्री पाना चाहते हैं तो सरकारी कॉलेज से कम खर्च में ही इसे करना सबसे अच्छा विकल्प होता है।
दोस्तो MA की फीस आपके विषय के चुनाव पर भी निर्भर करता है m.a. में कुछ सब्जेक्ट से ऐसे होते हैं जिनकी फीस कम होती है एवं शिक्षा शास्त्र आदि जैसे कुछ विषयों की फीस थोड़ी अधिक होती है। इसके अलावा अगर आपने जो विषय चुना है उसमें प्रैक्टिकल भी सम्मिलित है तो उसकी फीस थोड़ी बढ़ जाती है। अगर कुछ बड़े प्राइवेट कॉलेज है उसको छोड़ दें तो आप बहुत ही कम खर्च में आसानी से m.a. जैसी काम की डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। आप अपने राज्य के यूनिवर्सिटी और कॉलेज वेबसाइट पर इसकी जांच कर सकते हैं।
M.A करने में अतिरिक्त खर्चे या फीस
दोस्तों अगर कॉलेज फीस (ma ki fees) या इंस्टिट्यूशन फीस को छोड़ दें तो उसके अलावा भी कुछ अन्य खर्च हो सकते हैं। जैसे अगर आप रेगुलर छात्र के तौर पर m a करना चाहते हैं और इसके लिए आपको अपने घर में ना रहकर हॉस्टल में रहना पड़ता है तो उसमें आपके हॉस्टल का भाड़ा, खाने-पीने का खर्च, आने जाने यानी यातायात खर्च आदि जैसे और कई अन्य खर्च सम्मिलित हो जाते हैं।
इसके अलावा अगर आप कोचिंग लेते हैं तो उसका खर्च भी उसमें जुड़ेगा। यह सारे खर्च अनिवार्य नहीं होते इसका निर्धारण आप स्वयं आकलन करके कर सकते हैं। यह सारे खर्च अलग-अलग जगहों पर अलग अलग हो सकते हैं अगर आप किसी बड़े शहर मे रहकर m.a. करते हैं तो यह सारे खर्च अधिक हो सकते हैं एवं छोटे शहरों में यह बड़े शहरों की तुलना में कम हो सकते हैं। कुल मिलाकर अगर आप कम से कम खर्च में अपनी m.a. की पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं तो यह संभव है।
M.A की फीस पर मेरा विचार
अगर आप m.a. करना चाहते हैं तो इसे आप बिल्कुल बहुत ही कम खर्चे में कर सकते हैं क्योंकि दूसरे कोर्स के मुकाबले इस कोर्स को आप बहुत ही कम खर्चे में पूरी कर पाएंगे तथा m.a. की पढ़ाई लगभग भारत के हर क्षेत्र में होती है आप अपने आसपास m.a. की कॉलेज को देख सकते हैं।
आज मैंने आपको m.a. की फीस के बारे में पूरी जानकारी दी है की m.a. की फीस कितनी होती है? m.a. करने में कितने खर्चे होते हैं? इत्यादि अगर इससे जुड़ी कोई सवाल आपके मन में है तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते हैं।