ओडिशा की राजधानी कहां है? | Capital of Odisha in hindi

आज हम जानेंगे कि उड़ीसा की राजधानी कहां है? (Odisha ki rajdhani kahan hai) या उड़ीसा की राजधानी क्या है? (Odisha ki rajdhani kya hai) तथा उड़ीसा एवं पंजाब के राजधानी में प्रसिद्ध स्थल कौन-कौन से हैं?

उड़ीसा की राजधानी (Capital of Odisha in hindi) के बारे में पूरे विस्तार से जानने के लिए इसे पूरे ध्यान से पढ़ें।

उड़ीसा की राजधानी क्या है? (Odisha ki rajdhani kahan hai)

Capital of Odisha in hindi

ओडिशा की राजधानी ‘भुवनेश्वर’ है।

भारत देश के ओडिशा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर है, यही उड़ीसा का सबसे बड़ा नगर है। यह भारत के पूर्व में स्थित एक राज्य है जो कि एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक एवं आर्थिक केंद्र है। प्रशासनिक रूप से यह खोर्धा  जिले में पड़ता है। यहीं पर कलिंग युद्ध हुआ था जिससे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी इसकी महत्वता है।

इस शहर को पूर्व की काशी कहकर भी पुकारा जाता है। साथ ही  इसे सिटी ऑफ टेंपलस यानी मंदिरों का शहर भी कहते हैं। वास्तुविदो और इंजीनियरों द्वारा उपयोगितावादी सिद्धांत पर भुवनेश्वर का निर्माण किया गया है। इस शहर में बौद्ध, जैन, जैसी संस्कृतियों के अलावा दूसरी संस्कृतिया भी रही है जिस कारण वर्तमान में भुवनेश्वर एक बहु सांस्कृतिक नगर है।

क्षेत्रफल और जनसंख्या

क्षेत्रफल और जनसंख्या में भारत के उड़ीसा राज्य का भुवनेश्वर 422 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है एवं समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 58 मीटर की है। जनसंख्या में, वर्ष 2011 में हुई जनसंख्या जनगणना के अनुसार यहां की कुल जनसंख्या 837737 के करीब कि दर्ज की गई थी। जिसमें से पुरुषों एवं महिलाओं की संख्या क्रमशः 445233 एवं 392504 के करीब की थी।

यहां की औसत साक्षरता दर, राष्ट्रीय औसत साक्षरता दर से अधिक 93.15 % थी। एवं पुरुष एवं महिलाओं में, प्रभावी पुरुष साक्षरता दर 95.69 % एवं महिला साक्षरता दर 90.26% थी। यहां के अधिकतर निवासियों द्वारा हिंदी और इंग्लिश समझा जाता है एवं यहां की आधिकारिक भाषा उड़िया है।

भूगोल एवं जलवायु

भूगोल एवं जलवायु में भुवनेश्वर की स्थिति महानदी नदी के किनारे ओडिशा के पूर्वी तटीय मैदानों में है। जहां से समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 45 मीटर की होती है। भुवनेश्वर महानदी नदी के दक्षिण पश्चिम में स्थित है जहां से नगर के दक्षिण में दया नदी और नगर के पूर्व में कुआ खाई नदी बहती है।

जलवायु में, ग्रीष्म काल के दौरान यहां का अधिकतम तापमान 40 से 45 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य तक जाता है। एवं शीतकाल के दौरान यहां का औसत तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। उसके बाद वर्षा ऋतु में यहां औसतन 150 सेंटीमीटर वर्षा होती है। जून के माह में यहां दक्षिण पूर्व मानसून का प्रभाव देखने को मिलता है।

भुवनेश्वर की अपनी सांस्कृतिक विरासत है। यहां की संस्कृति में ओडीसी नृत्य शामिल है जिसकी विश्व भर में प्रशंसा की जाती है। भुवनेश्वर के इतिहास और संस्कृति को यहां स्थित लगभग 7000 मंदिरों ने पहचान प्रदान की थी। संस्कृति के अन्य घटकों में यहां का समुद्री भोजन और मिठाइयां ओड़िया संस्कृति का  हिस्सा बनी है। बंगाली और असमिया भाषा से  मिलती-जुलती भाषा उड़िया यहां के निवासियों द्वारा बोली जाती है।

यहां पत्थर से निर्मित सुंदर वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं जिनमें मूर्तियों से लेकर विभिन्न प्रकार के बर्तन तक शामिल है। पत्थर से निर्मित इन वस्तुओं को उत्कालिका बाजार में स्थित हस्तशिल्प हाट से खरीदा जा सकता है। अन्य उत्पादों में यहां सींग से बनी वस्तुएं जैसे पेन स्टैंड और उस जैसी अन्य सजावट की वस्तुएं  भी प्रसिद्ध है। इन वस्तुओं को यहां के बाजारों से खरीदा जा सकता है।

पर्यटन स्थलों

पर्यटन स्थलों में भुवनेश्वर शहर यहां स्थित विख्यात मंदिरों के लिए जाना जाता है। अनुश्रुतियो के अनुसार किसी समय इस शहर में 7000 मंदिर हुआ करते थे जिनमें से वर्तमान में केवल 600 मंदिर ही बचे हैं। राजधानी से कुछ दूरी पर खुदाई करने पर रत्नागिरी, उदयगिरि तथा ललितगिरी तीन बौद्ध विहारो का पता चला है।

लिंगराज मंदिर समूह जिसका निर्माण सोमवंशी वंश के राजा ययाति के द्वारा 11वीं शताब्दी में करवाया गया था कलिंगा स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर का प्रतिनिधित्व करता यह एक 185 फीट ऊंचा मंदिर है। यह उड़ीसा का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है। मंदिर में  चारकोलिथ पत्थर से बनी  मूर्तियां स्थापित है। गैर हिंदुओं को इस मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है।

इस मंदिर के चारों ओर कई छोटी-छोटी मंदिर हैं जिनमें से वैताल मंदिर विशेष महत्व रखता है जिसकी स्थापना आठवीं शताब्दी के आसपास की गई थी। यहां चामुंडा देवी की मूर्ति स्थापित है, जिस कारण इस मंदिर में तांत्रिक बौद्ध तथा वैदिक परंपरा के लक्षण देखने को मिलते हैं।

11 वीं शताब्दी स्थापित राजा रानी मंदिर जिसमें शिव और पार्वती की भव्य मूर्ति स्थापित है, मंदिरों में काफी प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों के अनुसार एक खास तरह के पत्थर (जिसे राजा रानी पत्थर कहा जाता है) उससे बने होने के कारण इस मंदिर का नाम राजा रानी मंदिर पड़ा। इस मंदिर के दीवारों पर बनी सुंदर कलाकृतियां खजुराहो मंदिर की कलाकृतियां  के समान प्रतीत होती है। इस मंदिर से थोड़ा आगे ब्राह्मेश्‍वर’ मंदिर भी एक प्रसिद्ध मंदिर है।

भुवनेश्वर में जयदेव मार्ग पर स्थित राज्य संग्रहालय यहां  का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। इस संग्रहालय में हस्तलिखित तारपत्रों का विलक्षण संग्रह के साथ-साथ प्राचीन काल के अद्भुत चित्रों का भी संग्रह है। इसके साथ ही 12 वीं शताब्दी में जयदेव द्वारा हस्तलिखित प्राचीन पुस्तक गीतगोविंद भी यहां है।

राजा रानी मंदिर से 100 गज की दूरी पर मुक्तेश्वर मंदिर समूह स्थित है जिसमें परमेश्वर मंदिर और मुक्तेश्वर मंदिर दो महत्वपूर्ण मंदिर है। इन मंदिरों की स्थापना 650 ईसवी के आसपास की गई थी। दोनों ही मंदिर की अपनी विशेषताएं हैं। इनमें बनाई गई विभिन्न कलाकृतियां एवं उनकी शैली दर्शनीय है।

भुवनेश्वर के निकट अन्य दर्शनीय स्थलों में धौली, हीरापुर, उदयगिरि और खंडगिरि जैसे स्थान आते हैं स्थानों पर भी बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने जाते हैं।

परिवहन यानी यातायात

परिवहन यानी यातायात में यहां सड़क मार्ग रेल मार्ग एवं वायु मार्ग से पहुंचा जा सकता है

सड़क मार्ग में उड़ीसा के दूसरे  क्षेत्रों और आसपास के अन्य शहरों से भुनेश्वर सड़क मार्ग के जरिए अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। भुवनेश्वर से ओडिशा के दूसरे स्थानों जैसे कोणार्क और पूरी के लिए कुछ समय अंतराल में नियमित बसें चलती है। इसके अलावा यहां से कोलकाता जैसे शहरों के लिए लंबी दूरी के वोल्वो जैसी लग्जरी बस सुविधा भी है।

वायु मार्ग में, बीजू पटनायक एयरपोर्ट (जोकि शहर में ही स्थित है) यहां से भुवनेश्वर आसानी से पहुंचा जा सकता है। शहर से यह एयरपोर्ट 4 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत के दूसरे प्रमुख शहरों से यह एयरपोर्ट जुड़ा है, जहां से यहां के लिए उड़ानें भरी जाती है। एयरपोर्ट पहुंचने के बाद यहां से टैक्सी या अन्य किसी वाहन द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग में शहर के बीचोबीच भुवनेश्वर में  रेलवे स्टेशन स्थित है जो कि भारत के दूसरे प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है। भुवनेश्वर के लिए नियमित रूप से सुपरफास्ट और एक्सप्रेस  ट्रेनें यहां के लिए चलती है।