POA (Power Of Attorney) क्या है? | POA in hindi

आज हम POA के बारे में पूरी विस्तार से जानेंगे हम जानेंगे कि POA क्या होता है? (POA kya hai) आधार कार्ड के छेत्र में POA शब्द का मतलब क्या है? इत्यादि

POA का फुल फॉर्म क्या है? ( POA full form in hindi)

POA का फुल फॉर्म ‘power of attorney’ होता है। जिसे हिंदी में ‘अटार्नी की शक्ति’ भी कहा जा सकता है।

आधार कार्ड से संबंधित POA का फुल फॉर्म ‘PROOF OF ADDRESS’ होता है।

POA (power of attorney) क्या है?

POA का एक से अधिक फुल फॉर्म होता है। इसका एक फुल फॉर्म पावर ऑफ अटॉर्नी भी होता है। यदि आसान शब्दों में इसे समझने की कोशिश की जाए तो यह एक ऐसा डॉक्यूमेंट होता है जिसके माध्यम से कोई एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अपने धन संपत्ति पर एक प्रकार से अधिकार दे देता है, जिससे वह दूसरा व्यक्ति उस व्यक्ति के संपत्ति के बारे में निर्णय लेने का अधिकार पा लेता है।

ऐसी किसी परिस्थिति में जब प्रॉपर्टी का मालिक बीमार हो या अन्य किसी समस्या की वजह से अपनी संपत्ति आदि की देखरेख नहीं कर सकता तो वैसी परिस्थिति में किसी दूसरे व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी देकर इन कार्यों को करता है।

पावर ऑफ अटॉर्नी एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसके जरिए कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार किसी दूसरे व्यक्ति को अपना कानूनी प्रतिनिधि बना सकता है, जिससे वह व्यक्ति उस दूसरे व्यक्ति के संपत्ति से संबंधित कानूनी निर्णय ले सकता है। इस प्रक्रिया में पावर ऑफ अटॉर्नी घोषित करने वाला व्यक्ति प्रिंसिपल तथा जिस व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी दी गई है वह एजेंट कहलाता है।

Power of attorney सिर्फ धन-संपत्ति के लिए ही नहीं दी जाती है।  प्रॉपर्टी के अलावा आप अपने बैंक खाते, इसके साथ म्यूच्यूअल फंड आदि तथा अन्य किसी शेयर जैसों के लिए भी किसी अन्य व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी दे सकते हैं जिससे वह इन चीजों में आप के प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर सकता है। बड़े-बड़े उद्योगपति इस प्रकार की पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल करते हैं।

POA कितने प्रकार के होते हैं?

पावर ऑफ अटॉर्नी दो प्रकार  के होते हैं जिसमें पहला जनरल पावर आफ एटर्नी जिसमें सामान्य रूप से दी जाने वाली पावर ऑफ अटॉर्नी आती है, तथा दूसरा स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी जिसमें किसी विशेष  परिस्थिति में विशेष प्रकार की पावर आफ अटार्नी दी जाती है।

Power Of Attorney में क्या-क्या अधिकार दिए जाते हैं?

Power of attorney देते समय जिस व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी दी जा रही है यानी कि एजेंट को प्रिंसिपल की धन-संपत्ति, प्रिंसिपल की वित्त, और मेडिकल परिस्थिति होने पर उसके चिकित्सा देखभाल के बारे में कानूनी निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त हो सकता है। उपयुक्त अधिकारों के अलावा कुछ अलग अलग कार्यों के लिए भी पावर ऑफ अटॉर्नी दी जा सकती है।

सामान्य तौर पर जो पावर ऑफ अटॉर्नी दी जाती है उसके तहत मालिक के बैंक खातों को संभालना, मालिक के संपत्ति को बेचना, चेक पर हस्ताक्षर करना और उसके अलावा संपत्ति जैसे स्टॉक, tax दाखिल करना, और इन जैसे कुछ मुद्दों की देखभाल करना आता है। Agent यह सभी कार्य सही तरीके से और कानून के दायरे में रहकर कर सकते है।

किसी को पावर ऑफ अटार्नी (POA) कैसे दें?

यदि आप किसी को अपने धन संपत्ति या अन्य किसी कार्य के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी देना चाहते हैं तो उसके लिए आपको 100 से 1000 रुपए तक के नॉन जुडिशल स्टांप की आवश्यकता पढ़ती है। अलग-अलग देशों में पावर ऑफ अटॉर्नी देने के लिए अलग-अलग कानून है। भारत देश में आप non judicial stamp पर पावर ऑफ अटॉर्नी बना सकते हैं।

Power of attorney बनाने के लिए non judicial stamp पर प्रिंसिपल यानी जो व्यक्ति पावर ऑफ अटॉर्नी दे रहा है और एजेंट यानी जिसे पावर ऑफ अटॉर्नी दी जा रही है दोनों के हस्ताक्षर होना जरूरी होता है इसके साथ ही witness की तरह दो अन्य लोगों के हस्ताक्षर की आवश्यकता भी पड़ती है, इस प्रकार आप पावर ऑफ अटॉर्नी का लाभ ले सकते हैं।

POA की समय सीमा?

सामान्य तौर पर पावर ऑफ अटॉर्नी की समय सीमा 1 वर्ष की होती है। इसके अलावा पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाते वक्त उसमें समय सीमा का उल्लेख भी किया जा सकता है।  अगर एजेंट्स power of attorney का दुरुपयोग करता है तो प्रिंसिपल द्वारा इसके लिए न्यायालय में शिकायत भी दर्ज की जा सकती है जिससे उल्लेखित समय सीमा से पहले भी पावर ऑफ अटॉर्नी को रद्द किया जा सकता है।

अन्य परिस्थिति में, अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश में रहता है और वह अपने देश में प्रॉपर्टी बेचना चाहता है तो ऐसे में देश आने से 3 माह के अंदर उसे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी जिला कलेक्टर से मान्यता दिलवानी जरूरी होती है। इसके बाद, बाद में वह पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार कर उसे notarized करा सकता है।

POA (Proof Of Address) क्या है?

POA का एक फुल फॉर्म प्रूफ आफ ऐड्रेस भी होता है। आज के समय में भारत देश के हर व्यक्ति के पास अपना आधार कार्ड होता है। आधार कार्ड को प्राप्त करने के लिए आपको POI(proof of Identity) यानी एक वैलिड आईडेंटिफिकेशन प्रूफ जिसमें पैन कार्ड पासपोर्ट वोटर आईडी कार्ड इत्यादि आते हैं, तथा POA(proof of address) यानी एक वैलिड एड्रेस प्रूफ की आवश्यकता पड़ती है। इसमें आपका पासपोर्ट, बैंक स्टेटमेंट या बैंक का पासबुक, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस या डेट ऑफ बर्थ प्रूफ आदि आता है।

Proof of address में क्या क्या डाक्यूमेंट्स मान्य है?

कई सारे डाक्यूमेंट्स प्रूफ आफ ऐड्रेस के तौर पर मान्य है। कहीं पर प्रूफ आफ ऐड्रेस दिखाने की आवश्यकता पड़ने पर इनमें से कोई भी डॉक्यूमेंट proof of address के तौर पर मान्य होते हैं।

  • यदि आपके पास एक वैलिड ड्राइवर्स लाइसेंस है तो उसे भी आप प्रूफ आफ ऐड्रेस के तौर पर दिखा सकते हैं।
  • Utility bill भी प्रूफ आफ ऐड्रेस के तौर पर एक्सेप्ट किया जाता है।
  • Voter card भी सामान्य तौर पर प्रूफ आफ ऐड्रेस के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • Property tax receipt भी proof of address के तौर पर मान्य है।
  • Insurance card को भी प्रूफ आफ ऐड्रेस के तौर पर  गिना जाता है।
  • College enrollment papers 
  • Lease agreement भी proof of address के तौर पर मान्य है।
  • एक bank statement भी एक वैलिड प्रूफ आफ ऐड्रेस की तरह मान्य है।
  • पासपोर्ट भी प्रॉपर एड्रेस मांगने की जगह पर दिखाया जा सकता है।

उपयुक्त के अलावा कुछ अन्य दूसरे डाक्यूमेंट्स भी प्रूफ आफ ऐड्रेस के तौर पर मान्य होते हैं।