Introduction
आज हम जानेंगे कि मराठी भाषा की लिपि क्या है? (Marathi Bhasha ki lipi kya hai) मराठी भाषा कहां कहां बोली जाती है, देवनागरी और मोडी लिपि में क्या अंतर होता है और इसमें क्या समानता होती है।
मराठी भाषा की लिपि क्या है?
वर्तमान काल में मराठी भाषा की लिपि देवनागरी है लेकिन प्राचीन काल में मराठी भाषा की लिपि मोड़ी थी लेकिन कभी कभी इसे बालबोध लिपि में भी लिखा जाता था।
सबसे पहले हम देवनागरी लिपि के बारे में पढ़ेंगे
देवनागरी लिपि का परिचय
पूरे संसार में सबसे ज्यादा प्राचीन और प्रसिद्ध लिपि देवनागरी है। अनेक भारतीय भाषाएँ देवनागरी लिपि में लिखी जाती है । जैसे:- हिंदी, संस्कृत, पाली , नेपाली, हिंदी, मराठी आदि।
इतना ही नहीं बल्कि हिंदी की कई उपभाषाएँ जैसे मैथिली ,राजस्थानी, बंगाली आदि भाषा को भी देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। देवनागरी लिपि में भारतीय भाषाएं ही नहीं बल्कि कुछ विदेशी भाषाएं भी लिखी जाती है।
देवनागरी लिपि बाएं से दाएं की ओर लिखी जाती है । इसमें 13 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं कुल मिलाकर 46 वर्ण होते हैं।
देवनागरी लिपि बहुत ही सरल और सुपाठ्य है। इसमें हर एक वर्ण के लिए अपनी एक अलग ध्वनि होती है। इसे पढ़ना और समझना बहुत ही आसान होता है क्योंकि इसमें हम जैसा लिखते हैं वैसा ही उच्चारण करते हैं।
देवनागरी के बारे में तो आप बहुत कुछ जानते ही होंगे लेकिन आपने मोडी और बालबोध लिपि का नाम पहली बार सुना होगा।
मोडी लिपि क्या है? और मोडी शब्द का क्या अर्थ होता है?
मोड़ी शब्द फारसी भाषा से लिया गया है। इसका अर्थ होता है मोडना या तोड़ना। इस लिपि का प्रयोग महाराष्ट्र की प्रमुख भाषा मराठी को लिखने के लिए किया जाता था।
इस लिपि का प्रचलन सन 1260 से 1309 के बीच हेमाडपंत द्वारा महादेव यादव और रामदेव यादव के शासन के दौरान किया गया। हेमाडपंत द्वारा इस लिपि को श्रीलंका से लाया गया था।
देवनागरी लिपि की तुलना में मोडी लिपी की छपाई अधिक कठिन होती है। मोडी लिपी को इसी कारण 1950 में बंद कर दिया गया। तब से मराठी भाषा को लिखने के लिए केवल देवनागरी लिपि का ही प्रयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सन् 1600 से 1950 तक महाराष्ट्र की लिपि मोड़ी ही रही।
पहले मोडी लिपि राजस्थान से महाराष्ट्र तक सीमित थी।
सन 1950 तक महाराष्ट्र के पत्र व्यवहार भी मोडी लिपि में ही लिखे गए। भारत के विभिन्न पुस्तकालयों में मोडी लिपी से लिखे कई उदाहरण उपलब्ध है।
देवनागरी और मोडी लिपि में क्या समानता है?
वैसे कहा जाए तो देवनागरी और मोडी लिपि में ज्यादा अंतर नहीं होता है। देवनागरी और मोडी लिपि के अक्षर एक जैसे ही होते हैं जितने स्वर और व्यंजन देवनागरी लिपि में होते हैं उतने ही मोडी लिपी में भी होते हैं।
देवनागरी और मोडी लिपि में क्या अंतर है?
देवनागरी और मोडी लिपि में केवल मात्राओं का ही अंतर होता है। मोडी लिपी को बिना कलम उठाए ही लिखना पड़ता था जो कि बहुत कठिन होता था। कोई भी आधा-अधूरा अक्षर , कोई भी गलती या कोई भी खुली मात्रा मोडी लिपि में नहीं लिखी जाती।
इसलिए मोडी लिपी में लिखना उतना संभव नहीं है जितना संभव देवनागरी लिपि में है। देवनागरी लिपि में हमें पूरी छूट होती है मगर मोडी लिपि में ऐसा बिल्कुल नहीं होता।
लेकिन कुछ लोगों ने अभी हाल फिलहाल फिर से मोडी लिपि का प्रयोग करना शुरू कर दिया है और इसकी शुरुआत पुणे से हुई है।
बालबोध लिपि क्या होती है?
बालबोध लिपि देवनागरी लिपि का ही एक फैला हुआ रूप है। इस लिपि में कोरकू , मराठी और भी कई भाषाओं को लिखा जाता है। इसमें देवनागरी के कई अक्षर और चिह्न के अलावा भी कुछ नए अक्षर और चिन्ह है जैसे कि “ळ” अक्षर और “रफार” कहलाने वाला “=” भी इसमें सम्मिलित है। जिसकी जरूरत मराठी और कोरकू भाषा में पड़ती है।
मराठी भाषा किस भाषा से संबंधित है?
वैसे माना जाए तो संस्कृत भाषा को हर भाषा की जननी माना जाता है। अधिकतर भाषा का जन्म संस्कृत भाषा में से ही हुआ है।
मराठी भाषा हिंद यूरोपीय की उपभाषा हिंद ईरानी की उपभाषा हिंद आर्य से संबंधित है।
मराठी भाषा महाराष्ट्र में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इतना ही नहीं बल्कि यह महाराष्ट्र की राजभाषा भी कहलाती है। महाराष्ट्र में अधिकतर लोग मराठी भाषा का ही प्रयोग करते हैं।
मराठी भाषा कहां कहां बोली जाती है?
मराठी भाषा भारत, इजरायल और मॉरीशस में बोली जाती है।
मराठी भाषा के कवि और लेखकों के नाम क्या है?
संत ज्ञानेश्वर, साने गुरुजी ,संत तुकाराम, संत एकनाथ राम गणेश गडकरी ,विश्वास पटेल, विजय तेंदुलकर आदि ऐसे कवि और लेखक है जिन्होंने अपनी रचना मराठी भाषा में की है।
Conclusion
दोस्तों आज हमने मराठी भाषा के बारे में पढ़ा और यह भी जाना कि मराठी भाषा की लिपि कौन कौन सी होती है ,मराठी भाषा कहां कहां बोली जाती है , इसमें अपना साहित्य लिखने वाले कौन कौन से कवि और लेखक है आदि।
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