आज हम जानेंगे कि त्रिपुरा की राजधानी कहां है? (Tripura ki rajdhani kahan hai) या त्रिपुरा की राजधानी क्या है? (Tripura ki rajdhani kya hai) तथा त्रिपुरा एवं त्रिपुरा के राजधानी में प्रसिद्ध स्थल कौन-कौन से हैं?
त्रिपुरा की राजधानी (Capital of Tripura in hindi) के बारे में पूरे विस्तार से जानने के लिए इसे पूरे ध्यान से पढ़ें।
त्रिपुरा की राजधानी क्या है? (Tripura ki rajdhani kahan hai)
त्रिपुरा की राजधानी ‘अगरतला’ है।
भारत देश के उत्तर पूर्वी राज्य त्रिपुरा की राजधानी अगरतला है। अगरतला को उत्तर पूर्व भारत का दूसरा सबसे बड़े राजधानी के रूप में जाना जाता है। इस शहर की स्थापना 1850 में महाराज राधा कृष्णा किशोर माणिक्य बहादुर के द्वारा की गई थी।
अगरतला की खूबियों में यहां पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के वनस्पति एवं जीव जंतु यहां के पर्यटन को रोचक बनाते हैं। त्रिपुरा का अगरतला शहर सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्धि है। बांग्लादेश के पड़ोस में होने से यह शहर बांग्लादेश से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
त्रिपुरा की राजधानी कि क्षेत्रफल एवं जनसंख्या
क्षेत्रफल एवं जनसंख्या में, अगरतला 76.51 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है, एवं समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 13 मीटर की है। जनसंख्या में, वर्ष 2011 की जनसंख्या जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 944226 के करीब कि दर्ज की गई थी। जिससे जनसंख्या घनत्व 6831 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर का हो जाता है।
साक्षरता में, वर्ष 2001 की जनसंख्या जनगणना के अनुसार शहर में कुल 343633 लोग साक्षरता थे, जिनमें पुरुषों एवं महिलाओं की संख्या क्रमशः 174524 एवं 169109 थी। अगरतला की औसत साक्षरता दर 93.88 प्रतिशत है, एवं पुरुष और महिला साक्षरता दर क्रमशः 95.75% और 92.02% थी।
लिंग अनुपात में प्रति हजार पुरुष 1002 महिलाएं थी। यहां अधिकारिक भाषा के रूप में अंग्रेजी, बंगाली एवं कोकबोरोक इस्तेमाल की जाती है।
त्रिपुरा की राजधानी कि भूगोल एवं जलवायु
भूगोल एवं जलवायु में, त्रिपुरा का अगरतला शहर हावड़ा नदी के किनारे एक मैदान में स्थित है। यह शहर अपने उत्तरी भागों की निचली पहाड़ियों तक भी फैला है। अगरतला त्रिपुरा के पश्चिमी भाग में स्थित है, और इस शहर से हरोआ नदी गुजरती है। कोलकाता एवं असम के गुवाहाटी शहर से अगरतला की दूरी क्रमशः 1680 किलोमीटर एवं 599 किलोमीटर की है।
जलवायु में, पूरे साल अगरतला की जलवायु सामान्य ही बनी रहती है, जिससे पर्यटक बिना मौसम की परवाह किए यहां घूमने आ सकते हैं। अगरतला घूमने का सबसे अच्छा मौसम सितंबर से मार्च के बीच रहता है जिस दौरान यह हल्की ठंड रहती है। अप्रैल से अक्टूबर तक गर्मी का मौसम रहता है जिस दौरान औसत तापमान 28 डिग्री सेल्सियस रहता है।
यह शहर पूरे साल मानसून का प्रभाव झेलता है जिससे यहां पूरे साल काफी वर्षा होती है। ठंड का मौसम यहां मध्य नवंबर से मार्च की शुरुआत तक रहता है, जिस दौरान औसत तापमान 18 डिग्री सेल्सियस रहता है।
व्यवसायिक रूप में पिछले कुछ सालों में अगरतला चावल, तिलहन, चाय और जुट के नियमित व्यापार से एक व्यावसायिक गढ़ के रूप में उभरा है। अगरतला में कुछ फलते फूलते बाजार है, जिन में बड़े पैमाने पर हस्तशिल्प एवं उन से बने वस्त्र तथा उन जैसे अन्य सामान मिलते हैं।
त्रिपुरा की राजधानी में पर्यटन स्थल
पर्यटन के दृष्टिकोण से अगरतला मनोरंजन के तमाम साधनों से परिपूर्ण है, एवं यहां एडवेंचर के ढेरों विकल्प मौजूद हैं। यहां पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जीव जंतु और वनस्पति यहां के पर्यटन को बढ़ाते हैं।
उज्जयंता पैलेस अगरतला का मुख्य स्मारक है, जिसका निर्माण 1901 में हुआ था। इसमें कई बगीचे और मानव निर्मित झीलें हैं, इसका परिसर 800 एकड़ में फैला हुआ है। इसका निर्माण मुगल यूरोपीय मिश्रित शैली मैं किया गया है। संध्या के समय यहां ज्यादातर पर्यटक आते हैं। जगन्नाथ मंदिर तथा उम्मेंनश्वर मंदिर इसी पैलेस के मैदान में स्थित है जहां दर्शन आरती दर्शन करने जाते हैं।
यहां से 5 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में पुराना अगरतला है जहां 14 मूर्तियों वाला मंदिर स्थित है। इस मंदिर में जुलाई महीने में श्रद्धालु कड़छी पूजा के लिए एकत्रित होते हैं। यहां से बस ऑटो रिक्शा या किसी अन्य वाहन से मंदिर तक पहुंचा जाता है।
वेणुबन विहार नाम का एक बौद्ध मंदिर एयरपोर्ट रोड पर लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में स्थित है। बौद्ध धर्म में रुचि रखने वालों के साथ साथ सामान्य पर्यटक भी यहां घूमने आते हैं।
क्राकरी के टूटे हुए टुकड़ों से अनोखी तरीके से निर्मित गेंदू मिया मस्जिद भी दर्शनीय स्थलों में गिना जाता है।
अगरतला शहर से 53 किलोमीटर दूर स्थित नीरमहल महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य के द्वारा बनवाया गया था यह महल रुद्र सागर झील के बीच में स्थित है। यह महल हिंदू और इस्लामिक वास्तुशिल्प के मिश्रण से बना है जिससे इसे काफी प्रसिद्धि मिली है।
यहां का स्टेट म्यूजियम जो कि एचजीबी रोड पर स्थित है, काफी लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। इस म्यूजियम में आर्कियोलॉजी तथा एथनोग्राफीकल फील्ड से संबंधित वस्तुओं का प्रदर्शन देखने को मिलता है इसमें प्रवेश निशुल्क है। यहां का ट्राइबल म्यूजियम त्रिपुरा राज्य के 19 आदिवासी समूहों की स्मृति के रूप में बनाया गया है।
महाराजा बीर बिक्रम सिंह के द्वारा बनवाया गया महाराजा बीर बिक्रम कॉलेज भी यहां के मुख्य पर्यटक स्थलों में आता है। इस कॉलेज को 1947 में स्थानीय युवाओं को गुणवत्ता युक्त और व्यवसायिक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनवाया गया था।
महाराजा राधा किशोर माणिक्य के द्वारा बनवाया गया उज्ज्यंत महल को अगरतला जाने पर जरूर घूमने जाना चाहिए वर्तमान समय में इसका इस्तेमाल विधानसभा के लिए किया जा रहा है।
अगरतला शहर के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक है जगन्नाथ मंदिर। यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुशिल्पीय शैली के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के पवित्र स्थल के चारों ओर आकर्षक प्रधक्ष्ण पठ है।
कृष्णानंद सेवायत के द्वारा बनवाया गया यहां का लक्ष्मी नारायण मंदिर अगरतला के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में आता है। हिंदू धर्म को मानने वाले के लिए यह एक पूजनीय स्थल है जहां नियमित रूप से लोग आते हैं।
यहां के राजभवन के बगल में स्थित एक बड़ा सा हरा भरा गार्डन रविंद्र कानन के नाम से जाना जाता है। यह पर्यटक स्थल घूमने, मौज मस्ती करने तथा प्लेग्राउंड के तौर पर भी इस्तेमाल होता है।
त्रिपुरा की राजधानी में परिवहन यानी यातायात
परिवहन यानी यातायात में अगरतला वायु मार्ग, सड़क मार्ग या रेल मार्ग से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग में अगरतला देश के अन्य हिस्सों से सड़क से भली-भांति जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग यानी नेशनल हाईवे 44 अगरतला को असम से जोड़ती है। नेशनल हाईवे 44 और नेशनल हाईवे 44 ए से अगरतला, सिलचर गुवाहाटी और शिलांग से जुड़ता है। बांग्लादेश से करीब होने के कारण ढाका के लिए भी यहां से बस सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा टैक्सी या अन्य निजी वाहन इस्तेमाल किए जाते हैं।
हवाई मार्ग में शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर सिंगरभील में एयरपोर्ट स्थित है। देश के बड़े और मुख्य शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु के लिए गुवाहाटी और कोलकाता से होते हुए उड़ाने उड़ाने भरी जाती है। एयरपोर्ट से शहर सड़क मार्ग से कुछ मिनटों की दूरी पर पड़ता है।
रेल मार्ग में अगरतला रेलवे स्टेशन शहर से 5.5 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। ट्रेन से यहां पहुंचने के लिए पहले गुवाहाटी जाना होता है, उसके बाद ब्रॉड गेज ट्रेन के जरिए लुमडिंग पहुंच कर, लुमडिंग से एक्सप्रेस ट्रेन पकड़कर अगरतला जाया जाता है। देश के दूसरे क्षेत्रों से इन्हीं रूटो द्वारा अगरतला पहुंचा जाता है।